मलेशिया के एक राज्य में जुमे की नमाज नहीं पढ़ने वालों को दो साल तक के लिए जेल में डाला जाएगा. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार मलेशिया के टेरेंगानु राज्य की सरकार चेतावनी दी है कि वह शरिया कानून को पूरी तरह से लागू करना शुरू करेगी. यहां बिना किसी वैध कारण के शुक्रवार की नमाज छोड़ने पर मुस्लिम पुरुषों को दो साल तक की कैद की सजा दी जाएगी. इस कदम को बहुसांस्कृतिक देश कहे जाने वाले मलेशिया में धार्मिक कट्टरता के प्रति झुकाव के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है.
इस रिपोर्ट के अनुसार टेरेंगानु राज्य में पैन-मलेशियाई इस्लामिक पार्टी (पीएएस) की सरकार है. इसने सोमवार को घोषणा की कि जो पहली बार जुमे की नमाज नहीं पढ़ता पकड़ा जाएगा उसे अब न केवल जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि 3,000 रिंगिट (लगभग 62 हजार रुपए) तक का जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं. यह सजा तभी दी जाएगी जब वे बिना किसी वैध कारण के जुमे की नमाज में शामिल नहीं होते हैं.
राज्य की कार्यकारी परिषद के सदस्य मुहम्मद खलील अब्दुल हादी ने स्थानीय अखबार बेरिटा हरियन को बताया, “यह याद दिलाना महत्वपूर्ण है क्योंकि शुक्रवार की प्रार्थना न केवल एक धार्मिक प्रतीक है, बल्कि मुसलमानों के बीच आज्ञाकारी होने की अभिव्यक्ति भी है.”
खास बात है कि इससे पहले, केवल वे लोग जो लगातार तीन शुक्रवार को नमाज पढ़ने से चूक जाते थे, उन्हें ही सजा दी जा सकती थी.
रिपोर्ट के अनुसार इस राज्य की आबादी 12 लाख की है और यहां मुख्य रूप से मलय मुस्लिम रहते हैं. टेरेंगानु एकमात्र ऐसा मलेशियाई राज्य है, जिसकी विधान सभा में कोई विपक्ष नहीं है. यहां 2022 में हुए चुनाव में सभी 32 सीटों पर पीएएस के उम्मीदवारों को ही जीत मिली थी.
मलेशिया में इस्लाम एक आधिकारिक धर्म लेकिन…
मलेशिया के संविधान में इस्लाम को आधिकारिक राज्य धर्म बनाया गया है. संविधान यहां के राज्यों को व्यक्तिगत और पारिवारिक कानून के एक संकीर्ण दायरे के भीतर इस्लामी मामलों पर कानून बनाने का अधिकार देता है. लेकिन साथ ही, संविधान की धर्मनिरपेक्ष नींव मलेशिया के बहुलवादी समाज को रेखांकित करती है.

Tikeshwar Sharma serves as the Editor of Jashpur Bulletin, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering local, regional, and national developments.

