प्रयागराज – विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी मां भगवती वैदिक शिक्षण शोध जनसेवा संस्थान एवं नैतिक धार्मिक संस्कृत शिक्षा भारत तथा कृतज्ञ संस्थानम् के तत्वावधान में देश,धर्म,राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राणोत्सर्ग करने वाले हुतात्माओं की आत्मशांति एवं तृप्ति के लिए सामूहिक तर्पण किया गया।कार्यक्रम के संयोजक एवं संस्थाओं के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य धीरज द्विवेदी “याज्ञिक” ने बताया कि शास्त्रों में सभी को तर्पण करने और सभी को तर्पण पाने का समान अधिकार दिया गया है,अपने पूर्वजों के लिए तो प्रायः सभी लोग तर्पण करते हैं परन्तु हमारी यह संस्था “वसुधैव कुटुम्बकम्” को चरितार्थ करते हुए प्रतिवर्ष चतुर्दशी तिथि को देश,धर्म,राष्ट्र के लिए अपना बलिदान करने वाले समस्त वीरों एवं वीरांगनाओं तथा सैनिकों,जवानों को तर्पण प्रदान करती है।यह कार्य विगत 8 वर्षों से अनवरत जारी है।चूंकि शस्त्रों में मृत एवं अपमृत्यु को प्राप्त आत्माओं के तृप्ति हेतु चतुर्दशी तिथि को ही तर्पण श्राद्ध का विधान है अतः हम सब भी प्रत्येक वर्ष पितृपक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही यह तर्पण का कार्य करते हैं।

इस अवसर पर भगवान परशुराम अखाड़ा के संस्थापक एवं चाणक्य पीठाधीश्वर पूज्य सुदर्शन शरण महाराज ने शास्त्रोक्त विषयों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पुत्र पौत्रादि परिवार में किसी के न रहने पर गुरु,पुरोहित,आचार्य तथा राजा को भी तर्पण और श्राद्ध करने का विधान है इसलिए हम सभी प्रतिवर्ष यह तर्पण का कार्य करते हैं साथ ही हम सरकार सहित समस्त संत महात्माओं और देशवासियों को देश,धर्म,राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले समस्त वीरों,वीरांगनाओं,तथा सैनिकों,पुलिस के जवानों के निमित्त श्राद्ध,तर्पण करके उन्हें तथा उनकी वीरता को याद करते हुए सम्मान करना चाहिए।कार्यक्रम अंत में उपस्थित लोगों को नाश्ता मिष्ठान आदि वितरित किया गया।

इस अवसर पर तीर्थ पुरोहित पंडित अजय तिवारी,परशुराम अखाड़ा के निजी सचिव कृपाचार्य कृपाशंकर,आचार्य शिवमनन्दन तिवारी,दासानुदास अजय महराज,नारायण दास वैश्य,कृष्णकांत ओझा,आचार्य सुशील कुमार तिवारी,अनुराग तिवारी,पंडित जीतेंद्र, दिलीप तिवारी,शिवकुमार पाण्डेय आदि तथा श्री बज्रांग आश्रम देवली प्रतापपुर के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Tikeshwar Sharma serves as the Editor of Jashpur Bulletin, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering local, regional, and national developments.
