छत्तीसगढ़ के कोनपारा उपकेंद्र गंझियाडीह धान खरीदी केंद्र में तीन करोड़ का धान गायब,घोटालेबाज फड़ प्रभारी कमल यादव ने शासन को लगाया चुना,प्रशासन मौन,मुख्यमंत्री के विधानसभा का मामला,प्रशासनिक अधिकारियों के जानकारी बावजूद कार्यवाही नही..!
कोतबा:-छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के विधानसभा के खरीदी केंद्र कोनपारा के उपकेंद्र गंझियाडीह में वितीय वर्ष 2024-25 खरीफ धान खरीदी में बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई हैं.यहाँ लगभग पौने तीन करोड़ के धान गायब होने का खुलासा हुआ हैं. यह हम नहीं बल्कि विपणन विभाग जशपुरनगर से जारी जानकारी के अनुसार हैं।पौने तीन करोड़ रुपये का धान गायब होने की जानकारी होने के बावजूद विभागीय अधिकारियों के कार्यवाही नही करने पर लोग अचंभित है.यहां गड़बड़ी और इतनी मोटी सरकारी रुपयों का बंदरबाट करने वाले फड़ प्रभारी का नाम कमल यादव बताया जा रहा हैं.गायब धान जिले की सबसे दूसरी बड़ी धान उत्पादन करने वाले खरीदी केंद्र कोनपारा के उप केंद्र गंझियाडीह खरीदी केंद्र का बताया जा रहा हैं.जानकारी के अनुसार कोनपारा धान खरीदी केंद्र के साथ ही उपमण्डी गंझियाडीह हैं.आपको बता दें कि हमारे हाथ जो तथ्य विभाग से मिलें है उस आधार पर गंझियाडीह धान खरीदी केंद्र में 27 अगस्त के मुताबिक12727.03 क्विंटल यानी 31817 बोरी धान मिलर्स को परिदान करना हैं.जिसकी बाजार मूल्य 23 रुपये प्रतिकिलो के मुताबिक 2 करोड़ 92 लाख 71 हजार 640 रूपये होंगे.लेकिन उक्त मंडी में अभी एक बोरी धान जमा नही हैं. धान मंडी में चारों ओर घास उगे हुये है.और ऑफिस मैं बैठकर कर्मी अपनी सेवाएं दे रहें है.मामले को लेकर कंप्यूटर ऑपरेटर से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने फड़ प्रभारी के अनुमति के बैगर देने से इनकार कर दिया.जब हमने फड़ प्रभारी कमल यादव से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन उठाकर काट दिया जिससे हम उनका पक्ष नही रख सके।

*शासन से डीओ जारी,पर उठाव के लिये धान नहीं..!*
धान खरीदी केंद्रों में मिलर्स को परिदान के लिये सम्पूर्ण धान का डीओ जारी हो चुका है.लेकिन फड़ प्रभारी प्रबंधक की भूमिका में हैं और उसके हटधर्मिता के आगे प्रशासन पंगु बना हुआ हैं।स्थिति ये है कि फड़ में एक बोरी भी धान उपलब्ध नही है धान खरीदी होने के बाद धान आखिर गया कहा इसका जवाब कोई नही दे रहे है सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब मौके में धान का दाना भी नही तो मिलर्स धान उठायेंगे कहा से विभाग द्वारा उठाव के डीओ जारी तो कर दिया गया लेकिन मौके में धान है कि नही ये देखना भी जरूरी नहीं समझा

*निगरानी और मोनिटरिंग के नाम लाखों खर्च,नहीं बरत पाये शख्ती..!*
बिडंबना है कि मुख्यमंत्री के विधानसभा में विभागीय अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैया का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा कि मॉनीटिरिंग के नाम पर लाखों खर्च कर धान खरीदी केंद्रों में शख्ती बरती जाती हैं. और जिले के डीएमओ सहित अन्य अधिकारी जांच करने पहुँचते है कि शासन से खरीदी करने वाले धान पर कोताही ना बरती जाये लेकिन बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर शासन के रुपयों को बंदरबाट किया गया हैं.बावजूद अधिकारियों को जानकारी होने के बावजूद अभी तक ठोस कदम नही उठाये जा रहें हैं.आप इसी बात से अंदाजा लगा लीजिये की खरीदी की समय सीमा जनवरी 2025 को समाप्त हो गई.बावजूद आज 6 माह बाद भी धान उपार्जन केंद्रों से मिलर्स तक नहीं पहुचा है न केंद्रों में भंडारण हैं।
*गंझियाडीह खरीदी केंद्र में खाली पड़े शेड,एक बोरी भी धान नहीं..!*
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गंझियाडीह खरीदी केंद्र से आज भी हजारों क्विंटल धान बोरी करोड़ो रूपये के उठाव करनी है. जहां पर एक दाने धान के जमा नहीं हैं. अब खुद सूबे के मुख्यमंत्री के विधानसभा में अभी तक का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है तो अन्य जिलों की हालत क्या होगी.बिडंबना है कि शासन को इन मामलों की जानकारी होने के बावजूद प्रबंधन पर एफआईआर दर्ज नहीं किया जा रहा न ही वसूली की कार्यवाही की जा रही है। गंझियाडीह धान खरीदी केंद्र में हुये आर्थिक अनियमितता और करोड़ो रूपये के घोटाला मामले में अभी तक अधिकारियों के द्वारा कोई कार्यवाही नही करना से ऐसा प्रतीत होता है कि.अब जांच में प्रशासन भी घोटालेबाज को बचाने पुरजोर प्रयास कर रहा है.इस लिहाज से प्रशासन की रवैया भी संदेहास्पद लग रहा है।
वर्शन
ओम्कारेश्वर सिंह,अनुविभागीय अधिकारी राजस्व फरसाबहार
इस मामले की शिकायत किसी के द्वारा कलेक्टर को की गई थी जिस पर जांच टीम का गठन हुआ था,जांच टीम के द्वारा जांच पूरी कर ली गई है। जिसका रिपोर्ट सौपना बाकी है। केंद्र का भौतिक सत्यापन भी करा लिया गया है।

Tikeshwar Sharma serves as the Editor of Jashpur Bulletin, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering local, regional, and national developments.
