गणेश चतुर्थी का महोत्सव साल 2025 में 27 अगस्त से शुरू होगा। इस दौरान गणपति के भक्त 10 दिनों तक उत्सव मनाते हैं जिसे गणेशात्सव के नाम से भी जाना जाता है। भक्त इस दौरान घर में भी गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करते हैं। इस दौरान गणेश जी के मंदिरों में भी भक्तों का तांता लगा रहता है। यूं तो भारत में गणेश भगवान के कई मंदिर हैं लेकिन इन सभी भी अष्टविनायक मंदिरों को सबसे प्रमुख माना जाता है। आज हम आपको इन्हीं अष्टविनायक मंदिरों के बारे में जानकारी देंगे।
श्री मयूरेश्वर मंदिर: मोरगांव
अष्टविनायक मंदिरों में से एक मयूरेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के मोरगांव में स्थित है। इसका आकार मोर की तरह है इसलिए इस मंदिर को मयूरेश्वर विनायक मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर काले पत्थर से बनाया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में सिंधुरासुर नाम के राक्षस का वध करने के लिए भगवान गणेश ने मयूरेश्वर का रूप धारण किया था।
श्री सिद्धिविनायक मंदिर: सिद्धटेक
भगवान गणेश का सिद्धिविनायक मंदिर अहमदनगर के सिद्धटेक में स्थित है। माना जाता है कि भगवान विष्णु मधु-कैटभ नामक दो राक्षसों का वध करने से पहले इसी स्थान पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करके पूजा की थी। सिद्धिविनायक मंदिर के पास ही देवी शिवी और शंकर भगवान के मंदिर भी स्थित हैं।
श्री बल्लालेश्वर मंदिर: पाली
भगवान गणेश का यह मंदिर महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में पाली गांव में स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश ने यहां बल्लाल को दर्शन दिए थे और साथ ही इस स्थान पर वास करने का वरदान भी दिया था। इस मंदिर में यूरापियन समय की एक बहुत बड़ी घंटी भी है, जो पुर्तगाल के आक्रमणकारियों पर विजय प्राप्त करने के बाद टांगी गई थी।
श्री गिरिजात्मज मंदिर: लेण्याद्री
इस मंदिर का नाम भगवान गणेश की माता पार्वती (गिरिजा) के नाम पर पड़ा है। यह मंदिर पुणे के लेण्याद्री में स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 307 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह वो स्थान है जहां मां पार्वती ने मिट्टी की मूर्ति बनाई थी और वह मूर्ति जीवित हो उठी थी। इस स्थान पर गणेश जी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी।
श्री चिंतामणि विनायक मंदिर: थेऊर
यह मंदिर पुणे जिले के थेऊर में स्थित है। इस मंदिर को लेकर धार्मिक कथा प्रचलित है कि गणासुर नाम के एक राजा ने कपिल मुनि से इच्छापूर्ति करने वाला चिंतामणि रत्न छीन लिया था। तब कपिल मुनि की सहायता भगवान गणेश ने की थी। गणेश जी ने गणासुर का वध किया और चिंतामणि वापस प्राप्त कर कपिल मुनि को लौटाई। कपिल मुनि ने गणेश जी से उसी स्थान पर वास करने की प्रार्थना की थी। तब गणेश जी ने स्वयंभू प्रिमा में इस स्थान पर वास किया।
श्री विघ्नेश्वर मंदिर: ओझर
विघ्नेश्वर मंदिर अष्टविनायक मंदिरों में से एक है और महाराष्ट्र के ओझर में स्थित है। यह अष्टविनायक मंदिर में से एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां सोने का कलश स्थापित है। यह मंदिर पुणे से 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
श्री महागणपति मंदिर: रजनगांव
भगवान गणेश के इस मंदिर का निर्माण नौंवी-दसवीं शताब्दी के आसपास करवाया गया था। यह मंदिर पुणे के पास ही स्थित है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि माधवराव पेशवा ने मंदिर के तहखाने (बेसमेंट) में गणेश जी की मूर्ति को रखने के लिए एक कमरा बनवाया था। इसके बाद इसका फिर से निर्माण इंदौर के सरदार द्वारा किया गया।
श्री वरदविनायक मंदिर: महड
महाराष्ट्र के रायगढ़ के महड शहर में वरदविनायक मंदिर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण पेशवा सुभेदार रामजी महादेव बिवलकर ने 1725 में करवाया था। यह मंदिर के पास एक झील है जहां से गणेश जी की मूर्ति खोजी गई थी और इस मंदिर में स्थापित की गई थी। माना जाता है कि इस मंदिर में जला दीपक 1892 से लगातार जल रहा है।

Tikeshwar Sharma serves as the Editor of Jashpur Bulletin, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering local, regional, and national developments.

